राजेंद्र चोल प्रथम के शानदार समुद्री अभियान के 1,000 वर्ष पूरे होने का समारोह मनाया गया | Current Affairs | Vision IAS
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    राजेंद्र चोल प्रथम के शानदार समुद्री अभियान के 1,000 वर्ष पूरे होने का समारोह मनाया गया

    Posted 24 Jul 2025

    10 min read

    संस्कृति मंत्रालय राजेंद्र चोल प्रथम के दक्षिण-पूर्व एशिया में समुद्री अभियान की 1,000वीं वर्षगांठ मनाने के लिए आदि तिरुवातिराई महोत्सव मना रहा है।

    • यह महोत्सव तमिल शैव भक्ति परंपराओं, विशेष रूप से चोल राजवंश द्वारा समर्थित 63 नयनारों (संत-कवियों) को भी सम्मानित करता है।

    राजेंद्र चोल प्रथम (1014 से 1044 ईस्वी) के बारे में

    • वह राजराज प्रथम का पुत्र था, जो सबसे शक्तिशाली चोल शासक था। राजराज प्रथम 985 ईस्वी में राजा बना था। 
    • उसने गंगा घाटी पर विजय प्राप्त की और ‘गंगईकोंडचोल’ (गंगा पर विजय प्राप्त करने वाला चोल) की उपाधि धारण की।
      • इस विजय की स्मृति में उसने ‘गंगईकोंडचोलपुरम’ नामक एक नई राजधानी की स्थापना की और इसी नाम का एक मंदिर भी बनवाया।
    • उसने श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया में शक्तिशाली श्रीविजय साम्राज्य के खिलाफ सफल नौसैनिक अभियान किए थे (मानचित्र देखें)।
      • इस विजय से प्रेरित होकर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह की राजधानी का नाम श्री विजयपुरम रखा गया था।
      • 7वीं शताब्दी तक श्रीविजय दक्षिण-पूर्व एशिया में एक प्रमुख समुद्री शक्ति थी।

    चोल साम्राज्य के बारे में

    • उद्भव: चोल आरंभ में उरैयूर में पल्लवों के अधीन छोटे सामंत थे। वे 9वीं शताब्दी में विजयालय चोल के अधीन सत्ता में आए थे।
    • स्थानीय शासन: सिंचाई व्यवस्था के चलते उर (गाँव) काफी समृद्ध हो गए थे। गांवों के समूह को नाडु कहा जाता था, जो न्याय करने और कर वसूलने जैसे कार्य करते थे।
    • कर प्रणाली: सामान्य कर प्रणाली में वेट्टी (जबरन श्रम) और कदमाई (भू-राजस्व) शामिल थे।
    • मुख्य अभिलेख: उत्तरमेरुर अभिलेख में चोल प्रशासनिक प्रणाली और चुनावों का विवरण है।
    • सांस्कृतिक संरचनाएं-
      • भव्य मंदिर: महान प्राणवान चोल मंदिर (गंगईकोंडचोलपुरम, ऐरावतेश्वर और बृहदेश्वर) यूनेस्को विश्व धरोहर स्मारक हैं।
      • कांस्य कला: चोलों को उत्कृष्ट कांस्य मूर्तियों, विशेष रूप से विख्यात नटराज की मूर्ति के लिए जाना जाता है।
    • Tags :
    • बृहदेश्वर मंदिर
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    • महान प्राणवान चोल मंदिर
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