सुर्ख़ियों में क्यों?
अटल मिशन फॉर रेजुवेनेशन एंड अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन (AMRUT) योजना को शुरू हुए एक दशक पूरा हो गया है।
अमृत (AMRUT) के बारे में
- मंत्रालय: आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय
- प्रकार: केंद्र प्रायोजित योजना
- विवरण: इस योजना की शुरुआत चुनिंदा 500 शहरों और कस्बों में की गई थी। इसका उद्देश्य जलापूर्ति, सीवरेज और सेप्टेज प्रबंधन, वर्षा जल निकासी, हरित स्थल और पार्क, और गैर-मोटर चालित शहरी परिवहन के क्षेत्रों में अवसंरचना का विकास करना है।
- 2021 में अमृत का विलय AMRUT 2.0 में कर लिया गया, जिसमें शहरी परिवहन घटक को इसके दायरे से बाहर रखा गया।
अमृत 2.0 (AMRUT 2.0) के बारे में
- AMRUT 2.0 केवल जल और सीवरेज पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य वैधानिक शहरों के सभी घरों को नल का जल उपलब्ध कराना और 500 AMRUT शहरों में सीवरेज प्रबंधन को बेहतर बनाना है।
- प्रमुख घटक:
- पेयजल सर्वेक्षण: यह शहरों में जल आपूर्ति, पुन: उपयोग, सीवरेज और जल निकाय संरक्षण के लिए सेवा स्तर मापदंडों का मूल्यांकन करने वाली एक प्रतियोगिता आधारित मूल्यांकन प्रक्रिया है।
- व्यवहार परिवर्तन संबंधी संचार: इसका उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना और जल उपयोग दक्षता में सुधार करना है।
- प्रौद्योगिकी उप-मिशन: इसमें विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन की गई पायलट परियोजनाओं के माध्यम से स्टार्ट-अप्स विचारों और निजी उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाता है।

- अन्य विशेषताएं:
- सार्वजनिक निजी भागीदारी (PPP) परियोजनाएं: जिन शहरों की आबादी एक मिलियन से अधिक है, यह उनके लिए अनिवार्य है।
- परिणाम-आधारित फंडिंग: इसके तहत शहरों को निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत करना होगा।
- सामुदायिक भागीदारी: विशेष रूप से महिलाओं के स्वयं-सहायता समूहों पर जोर दिया गया है।
- जल की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: यह कार्य उपचारित सीवेज के पुनर्चक्रण/ पुन: उपयोग, जल निकायों के कायाकल्प और जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करके किया जा रहा है।
- निगरानी:
- राष्ट्रीय स्तर पर: आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) के सचिव की अध्यक्षता में एक शीर्ष समिति निगरानी करती है।
- राज्य स्तर पर:राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य उच्चाधिकार प्राप्त संचालन समिति (SHPSC) निगरानी करती है।
AMRUT के तहत प्रमुख उपलब्धियां:
|
AMRUT के क्रियान्वयन में सीमाएं
- स्वास्थ्य परिणामों में कमी: भारत में जल, स्वच्छता और साफ-सफाई की गंभीर समस्याएं हैं, जिससे हर साल लगभग 2 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
- पर्यावरणीय चिंताओं की अनदेखी: AMRUT 1.0 का उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना था, लेकिन वायु की गुणवत्ता और खराब होने से 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) की शुरुआत करनी पड़ी।
- कार्यान्वयन में देरी: बिहार और असम जैसे कुछ राज्यों ने नियमित फंड मिलने के बावजूद PPP मॉडल का पूरा उपयोग नहीं किया है। इस वजह से कई परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं।
- सीमित कवरेज और दायरा: AMRUT की शुरुआत केवल 500 शहरों में हुई थी, जिससे कई छोटे शहर इस योजना से बाहर रह गए।
- अन्य योजनाओं के साथ ओवरलैप: AMRUT का स्मार्ट सिटी और स्वच्छ भारत मिशनों से कुछ हद तक ओवरलैप होता है, जिससे फंडिंग बंट जाती है और प्रयासों का दोहराव होता है।
निष्कर्ष
एक दशक पूरा कर चुके AMRUT ने शहरी बुनियादी ढांचे, विशेषकर जल और स्वच्छता के क्षेत्र में सुधार किया है। इससे ज्यादा बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए एक समग्र और जन-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, नगरीय निकायों (ULBs) की क्षमता बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा, छोटे शहरों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए, एवं जलवायु-संवेदनशील व प्रकृति-आधारित समाधानों को एकीकृत करके सतत शहरी विकास को बढ़ावा देना चाहिए।