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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FOREIGN DIRECT INVESTMENT: FDI) | Current Affairs | Vision IAS
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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FOREIGN DIRECT INVESTMENT: FDI)

Posted 21 Jul 2025

1 min read

सुर्ख़ियों में क्यों?

जून 2025 में जारी RBI बुलेटिन के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 96% की गिरावट दर्ज की गई है, हालांकि सकल FDI में वृद्धि हुई।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) क्या है?

  • FDI वास्तव में किसी अनिवासी व्यक्ति द्वारा किसी गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनी में इक्विटी लिखतों के माध्यम से निवेश है, या किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी की 'फुली डाइल्यूटेड आधार पर पोस्ट-इश्यू पेड-अप कैपिटल के 10% या उससे अधिक की इक्विटी हिस्सेदारी में निवेश है। 
  • FDI से संबंधित प्रशासनिक एवं विनियामक प्रावधान: समेकित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति (2020); विदेशी विनिमय प्रबंधन (गैर-ऋण लिखत) नियम, 2019 आदि जारी किए गए हैं।  
  • FDI के प्रकार:
    • सकल FDI: यह विदेशी इकाइयों द्वारा भारत की उत्पादक परिसंपत्तियों में कुल प्रत्यक्ष निवेश है। 
    • निवल FDIभारत में हुए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में से भारत से बाहर जाने वाली FDI घटाने के बाद बचा हुआ निवेश है।
      • भारत से बाहर जाने वाली FDI में भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में निवेश + विदेशी कंपनियों द्वारा भारत से लाभ को वापस अपने देश भेजना शामिल है।  
  • भारत में FDI का तरीका
    • स्वचालित मार्ग: ऐसे निवेश के लिए सरकार या RBI की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होती है।
      • स्वचालित मार्ग से भारत में 100% FDI की अनुमति वाले क्षेत्रक : कृषि एवं पशुपालन, कोयला और लिग्नाइट, तेल और गैस की खोज, हवाई अड्डे (ग्रीनफील्ड और मौजूदा), औद्योगिक पार्क, दूरसंचार सेवाएं, ट्रेडिंग (व्यापार) ।
    • सरकारी अनुमोदन मार्ग: ऐसी FDI के लिए सरकार की मंजूरी आवश्यक है। ऐसे निवेश को सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों का पालन करना होता है।
  • भारत में FDI के लिए निषिद्ध क्षेत्र:  लॉटरी व्यवसाय (सरकारी/निजी/ऑनलाइन), ऑनलाइन लॉटरी, गैंबलिंग और बेटिंग (जैसे—कैसीनो), चिट फंड, निधि कंपनियां, तथा वे क्षेत्रक जो निजी क्षेत्र के लिए खुले नहीं हैं: परमाणु ऊर्जा, रेलवे परिचालन। 

देश में FDI में वृद्धि का महत्त्व:

  • पूंजी निवेश: FDI एक प्रमुख गैर-ऋण वित्तीय स्रोत है जो लंबे समय के लिए और सतत पूंजी प्रदान करता है। इसके साथ प्रौद्योगिकियां आती हैं, रणनीतिक क्षेत्रों का विकास संभव होता है, आदि।
    • उदाहरण के लिए: भारत ने अधिक ग्रीनफील्ड निवेश आकर्षित किए हैं, जिससे 2024 में अनुमानित पूंजीगत व्यय लगभग 25% बढ़कर 110 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया (अंकटाड की विश्व निवेश रिपोर्ट, 2025)।
  • विनिमय दर की स्थिरता: मई 2025 तक भारत के पास जितना विदेशी मुद्रा भंडार था, उससे 11 से अधिक महीनों का आयात किया जा सकता है और 96% बाह्य ऋण को चुकाया जा सकता है (आरबीआई बुलेटिन, जून 2025)।
  • संधारणीय वित्तपोषण: उदाहरण के लिए, भारत 'वेरा रजिस्ट्री' में कार्बन क्रेडिट जारी करने वाला सबसे बड़ा देश है। (अंकटाड की विश्व निवेश रिपोर्ट, 2025)
  • प्रतिस्पर्धा और नवाचार को समर्थन: FDI अपने साथ नए बाजार प्रतिभागियों, सर्वश्रेष्ठ कार्य-प्रणालियों, प्रबंधकीय और तकनीकी विशेषज्ञता लाती है तथा रोजगार सृजन में सहायक होती है। 

भारत में निवल FDI में गिरावट के कारण

  • भारत से बाह्य (आउटवर्ड) निवेश में वृद्धि: केंद्रीय वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक समीक्षा (अप्रैल 2025) के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत से अन्य देशों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़कर 12.5 अरब डॉलर हो गया।
  • उदारीकृत नीति: उदाहरण के लिए, 2022 की उदारीकृत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (Overseas Direct Investmen: ODI) दिशा-निर्देश भारतीय संस्थाओं और व्यक्तियों को विदेशी संस्थाओं में अधिक आसानी से और कम प्रतिबंधों के साथ निवेश की अनुमति देते हैं।
  • विदेशी निवेशकों द्वारा निवेश और रिटर्न वापस अपने देश में भेजने में वृद्धि: भारतीय रिजर्व बैंक ने इस परिघटना को भारत के परिपक्व होते बाजार का संकेत माना है, जहाँ विदेशी निवेशक आसानी से निवेश कर सकते हैं और फिर इस निवेश को वापस अपने देश भेज सकते हैं।
  • FDI के लिए अन्य जोखिम:
    • वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा आयात प्रशुल्क (टैरिफ) में वृद्धि से व्यापार युद्ध में वृद्धि हुई है।
      • विश्व भर में FDI में 2024 में विगत वर्ष की तुलना में 11% की गिरावट दर्ज की गई है। (अंकटाड की विश्व निवेश रिपोर्ट, 2025) 
    • निवेश चक्र का परिपक्व होना: कई पुराने FD निवेश अब परिपक्वता के चरण में हैं, जहाँ विदेशी कंपनियां अपने विकास और लाभ के लक्ष्य पूरे होने के बाद आंशिक रूप से निवेश वापस ले जा रही हैं।  
    • कमजोर वैश्विक मांग के कारण निर्यात में कमी : S&P ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के अनुसार, अप्रैल 2025 में निर्यात में 2012 के बाद की सबसे तीव्र गिरावट दर्ज की गई। 

भारत में FDI को बढ़ावा देने हेतु उठाए गए कदम

  • अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रकों में सुधार: रक्षा, बीमा, पेट्रोलियम और गैस, दूरसंचार, अंतरिक्ष जैसे अलग-अलग क्षेत्रकों में प्रत्यक्ष विदेश निवेश नीति में सुधार किए गए।
    • उदाहरण के लिए: केंद्रीय बजट 2025 में घोषणा की गई कि  बीमा क्षेत्रक में FDI की सीमा 74% से बढ़ाकर 100% कर दी जाएगी बशर्ते कि कोई कंपनी पूरा बीमा प्रीमियम भारत में निवेश करती है
  • निवेशक अनुकूल व्यवस्थाजन विश्वास (उपबंधों में संशोधन) अधिनियम, 2023 के माध्यम से 19 मंत्रालयों/विभागों के 42 केंद्रीय अधिनियमों में से 183 प्रावधानों को गैर-आपराधिक प्रकृति का बना दिया गया है।
  • निवेश संवर्धन समझौते: उदाहरण के लिए: भारत ने किर्गिस्तान (2019), संयुक्त अरब अमीरात (2024) और उज्बेकिस्तान (2024) के साथ द्विपक्षीय निवेश संधियाँ तथा यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (European Free Trade Association: EFTA) के साथ 'व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता' (Trade and Economic Partnership Agreement: TEPA)' संपन्न किए हैं।
  • प्रतिस्पर्धात्मक सहकारी संघवाद: व्यवसाय सुधार कार्य योजना (Business Reforms Action Plan: BRAP) 2024 और 'विभिन्न राज्यों में लॉजिस्टिक्स की सुगमता (Logistics Ease Across Different States: LEADS) 2024 राज्यों को FDI समेत निवेश आकर्षित करने हेतु स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती हैं।
    • केंद्रीय बजट 2025 में राज्यों के लिए निवेश अनुकूलता सूचकांक (Investment Friendliness Index) की घोषणा की गई।
  • संस्थागत तंत्र में सुधार: निवेश प्रस्तावों को शीघ्रता से मंजूरी देने के लिए भारत सरकार के सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों में परियोजना विकास प्रकोष्ठ (Project Development Cells – PDCs) की स्थापना की गई है।
  • सरकारी योजनाएं: मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, पीएम गतिशक्ति, राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर कार्यक्रम, उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना आदि चलाई जा रही है।

 

आगे की राह

  • नीतिगत सुधारों को अपनाना: कर प्रणाली में स्थिरता लाने के साथ-साथ विनियामक और न्यायिक सुधारों से व्यवसाय सुगमता बढ़ेगी, जिससे FDI में वृद्धि होगी।
    • उदाहरण के लिएवियतनाम विशेष रूप से निवेश और बाजार उदारीकरण की प्रक्रिया के लिए दिशा-निर्देश देने हेतु 10 वर्षीय आर्थिक योजनाओं को लागू करता है।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना: डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश से संबंधित एकरूप और विकासोन्मुखी नियमों को दिशा देने हेतु बहुपक्षीय संवाद को आगे बढ़ाना चाहिए।
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था वैश्विक FDI का एक प्रमुख संचालक रही है, जिसमें 2024 में निवेश 14% बढ़ा। (अंकटाड की विश्व निवेश रिपोर्ट, 2025)
  • निवेश को प्रोत्साहन: पूंजी आकर्षित करने और उसे सही दिशा देने के लिए कर में छूट, अनुदान, और सब्सिडी जैसे वित्तीय प्रोत्साहनों का उपयोग किया जा सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: इनमें अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली में सुधार (जैसे-हाइब्रिड पूंजी के माध्यम से ऋण देना), वैश्विक खतरों से निपटने हेतु बहुपक्षीय सहयोग, न्यायसंगत निवेश को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।

निष्कर्ष

निवल FDI में हालिया गिरावट को निवेशकों द्वारा अपने निवेश के स्थानांतरण का अस्थायी परिणाम माना जा रहा है। यह अर्थव्यवस्था में किसी दीर्घकालिक समस्या का संकेत नहीं है। दक्षिण एशिया में सबसे अधिक FDI प्राप्तकर्ता देश के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए भारत को ऐसे स्मार्ट पूंजी निवेश पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो दीर्घकालिक, समावेशी और सतत विकास के अनुरूप हों। 

  • Tags :
  • FDI
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