सरदार वल्लभभाई पटेल (SARDAR VALLABHBHAI PATEL) | Current Affairs | Vision IAS
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सरदार वल्लभभाई पटेल (SARDAR VALLABHBHAI PATEL)

23 Dec 2025
1 min

In Summary

  • सरदार वल्लभभाई पटेल, जिनका जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को हुआ था, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता और पहले गृह मंत्री थे।
  • उन्होंने स्वतंत्रता के बाद 560 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • पटेल ने खेड़ा और बारडोली सत्याग्रह और 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम जैसी पहलों का नेतृत्व करते हुए राष्ट्रीय एकता का समर्थन किया।

In Summary

सुर्ख़ियों में क्यों? 

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। वर्ष 2014 से, इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन परिचय 

  • जन्म: 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ।
    • उनके पिता झवेरभाई ने झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में सेवा की थी और 1857 के विद्रोह में भाग लिया था।
  • करियर: 1897 में मैट्रिक की परीक्षा पास की और फिर इंग्लैंड से कानून की पढ़ाई की। 1913 में कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद, वे भारत लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरू की।

प्रमुख पद और उत्तरदायित्व

  • 1917: अहमदाबाद नगर निगम के स्वच्छता आयुक्त के रूप में चुने गए।
  • 1920: नवनिर्मित गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में मनोनीत और निर्वाचित हुए।
  • 1924: अहमदाबाद नगर बोर्ड के अध्यक्ष चुने गए।
  • 1931: कांग्रेस के कराची अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गए। इस अधिवेशन में मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीति से संबंधित महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए थे।
  • संविधान सभा: कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बॉम्बे से संविधान सभा के लिए चुने गए।
    • उन्होंने प्रांतीय संविधान समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया, जिसने प्रांतीय सरकार की प्रणाली और स्वरूप का निर्धारण किया।
    • उन्होंने मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों और जनजातीय एवं अपवर्जित क्षेत्रों पर बनी सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया।
  • सरकार में भूमिका: अंतरिम सरकार में गृह तथा सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में कार्य किया।
  • स्वतंत्र भारत: स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी।

सम्मान और विरासत

  • उन्हें 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
  • एक भारत श्रेष्ठ भारत (EBSB): सरदार पटेल की 140वीं जयंती (31 अक्टूबर 2015) के दौरान इस पहल की घोषणा की गई थी, जो एक एकीकृत भारत के उनके दृष्टिकोण को साकार करती है।
  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी: सरदार पटेल के सम्मान में 2018 में गुजरात के केवडिया में इसका उद्घाटन किया गया था।

जूनागढ़, कश्मीर और हैदराबाद का विलय

  • जूनागढ़: इसे 1948 में एक जनमत संग्रह के बाद भारत में एकीकृत किया गया था, जिसमें अधिकांश लोगों ने भारत के पक्ष में अपना मत दिया था।
  • कश्मीर: कश्मीर के राजा हरि सिंह ने 1947 में पाकिस्तान के विरुद्ध सहायता के बदले 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेसिबल' (विलय पत्र) पर हस्ताक्षर किए थे।
  • हैदराबाद: सरदार पटेल के मार्गदर्शन में सेना द्वारा चलाए गए 'ऑपरेशन पोलो' के बाद 1948 में इसे भारतीय संघ में शामिल कर लिया गया था।

सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रमुख योगदान

  • खेड़ा सत्याग्रह (1918): खेड़ा सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी से जुड़ने के साथ ही सरदार पटेल के राजनीतिक जीवन का प्रारंभ हुआ।
    • उन्होंने अकाल के कारण उत्पन्न कठिनाइयों के चलते कर देने से इनकार करने वाले किसानों का नेतृत्व किया, जो औपनिवेशिक अधिकारियों के खिलाफ उनकी पहली बड़ी जीत थी।
  • असहयोग आंदोलन (1919-20): सरदार पटेल को गुजरात में आंदोलन का नेतृत्व करने का कार्य सौंपा गया था।
    • उन्होंने शंकरलाल बैंकर, उमर सोबानी, सरोजनी देवी और इंदुलाल याज्ञनिक के साथ मिलकर 'सत्याग्रह सभा' की स्थापना की और गुजरात में आंदोलन को लोकप्रिय बनाया।
  • बारदोली सत्याग्रह (1928): उन्होंने बारदोली के किसानों/ भूमिधारकों का नेतृत्व करते हुए बढ़े हुए भू-कर के विरुद्ध संघर्ष किया।
    • उनकी इस भूमिका ने उन्हें राष्ट्रीय ख्याति के शिखर पर पहुँचा दिया और उनके कुशल नेतृत्व के कारण उन्हें 'सरदार' (नेता) की उपाधि मिली।
  • आधुनिक भारत के निर्माता एवं एकीकरणकर्ता: स्वतंत्रता के बाद, उन्हें भारत के लगभग 40% क्षेत्र और जनसंख्या को कवर करने वाली 560 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने का दायित्व सौंपा गया था।
  • एकीकरण की रणनीति: भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के तहत, रियासतों के शासकों को यह विकल्प दिया गया था कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हों या स्वतंत्र रहें।
    • सरदार पटेल ने भारत के 'बाल्कनीकरण' (टुकड़ों में बंटने) को रोकने के लिए राजनयिक वार्ता, अनुनय और जहाँ आवश्यक हो, वहां दृढ़ प्रशासनिक उपायों का उपयोग किया।
    • आंतरिक स्थिरता बनाए रखने और रियासतों को जोड़ने के उनके इसी तरीके के कारण उन्हें 'लौह पुरुष' के रूप में ख्याति मिली।
  • अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन: उन्होंने इन सेवाओं की कल्पना 'भारत के स्टील फ्रेम' के रूप में की थी। इसके तहत प्रशासनिक अधिकारियों को सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के साथ काम करने वाला सेवा भागीदार माना गया।
  • सहकारी आंदोलन: उन्होंने गुजरात के सहकारी आंदोलनों का नेतृत्व किया और कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

EBSB के मुख्य उद्देश्य

  • नागरिकों के बीच भावनात्मक संबंधों को मजबूत करना।
  • राज्यों के बीच व्यवस्थित जुड़ाव के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना।
  • भारत की विविध संस्कृतियों को प्रदर्शित करना और उनकी प्रशंसा करना।
  • दीर्घकालिक और स्थायी साझेदारी का निर्माण करना।
  • विभिन्न क्षेत्रों के बीच आपसी सीखने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने को प्रोत्साहित करना।

 

 

 

 

 

 

 

सरदार पटेल से जुड़े प्रमुख मूल्य

  • सह-अस्तित्व: उन्होंने ग्रामीण एवं कृषि विकास तथा वृहद स्तर पर रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए बड़े उद्योगों के साथ-साथ ग्राम एवं कुटीर उद्योगों के सह-अस्तित्व का समर्थन किया।
  • मध्यस्थता: उद्योग और श्रमिकों के मध्य विद्यमान समस्याओं के समाधान हेतु उन्होंने मध्यस्थता की नीति अपनाने पर बल दिया।
  • लोकतंत्र: उन्होंने समानता, स्वतंत्रता और न्याय के मूल्यों का समर्थन किया तथा प्रतिनिधि लोकतांत्रिक संस्थाओं को प्रभावी ढंग से कार्य करने हेतु स्वायत्त अस्तित्व का पूर्ण समर्थन किया।
  • प्रशासन में दृढ़ता: सत्ता एवं नौकरशाही द्वारा शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए उन्होंने प्रशासन में कठोरता तथा सिविल सेवकों की 'बौद्धिक सत्यनिष्ठा' के सिद्धांत को प्रोत्साहित किया।
  • शक्तियों का विकेंद्रीकरण: उन्होंने पंचायती राज व्यवस्था की अवधारणा को सुदृढ़ किया और निःस्वार्थ सेवा, नैतिकता एवं समर्पण पर आधारित ग्राम पंचायतों की स्थापना का समर्थन किया, ताकि स्थानीय स्तर पर त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सके। उदाहरण: 73वाँ और 74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम
  • समग्र शिक्षा: उनका मानना था कि शिक्षा न्यायसंगत, उचित होनी चाहिए तथा अपनी भाषा के माध्यम में प्रदान की जानी चाहिए।

निष्कर्ष

सरदार वल्लभभाई पटेल का 15 दिसंबर 1950 को निधन हुआ, किंतु वे 'भारत के एकीकरणकर्ता' के रूप में एक अमिट विरासत छोड़ गए। सरदार पटेल की 150वीं जयंती राष्ट्रीय एकता, सुशासन और लोकसेवा के प्रति उनकी अडिग प्रतिबद्धता की सशक्त स्मृति है।

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73वाँ और 74वाँ संविधान संशोधन अधिनियम (73rd and 74th Constitutional Amendment Acts)

Amendments that constitutionalized the Panchayati Raj system (73rd Amendment) and urban local bodies (74th Amendment) in India, reflecting Sardar Patel's vision of decentralized governance.

पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System)

A system of local self-governance in rural India, empowered by the 73rd Constitutional Amendment. Sardar Patel supported the concept of decentralization and strengthening local bodies.

एक भारत श्रेष्ठ भारत (Ek Bharat Shreshtha Bharat - EBSB)

A government initiative launched in 2015 to foster emotional connect and understanding among citizens by promoting cultural exchange and unity between different states and Union Territories of India.

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