इम्यूनोएक्ट (ImmunoACT) ने B-सेल रक्त कैंसर के उपचार के लिए NexCAR19 थेरेपी विकसित की है। इम्यूनोएक्ट IIT बॉम्बे और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के अंतर्गत इनक्यूबेट की गई कंपनी है। इस परियोजना को जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) का समर्थन प्राप्त है।
- NexCAR19 भारत की पहली स्वदेशी CAR-T सेल थेरेपी है। वर्ष 2023 में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने इसकी व्यावसायिक उपयोग की मंजूरी दी थी।

CAR (कैमेरिक एंटीजन रिसेप्टर)-T सेल थेरेपी के बारे में
- इसमें प्रतिरक्षा कोशिकाओं, विशेष रूप से T-सेल्स को शक्तिशाली कैंसर-नाशक CAR-T कोशिकाओं में बदला जाता है।
- T-सेल्स एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं। इनका प्राथमिक कार्य हानिकारक या संक्रमित कोशिकाओं को नष्ट (cytotoxic) करना होता है।
- यह उपचार विशेष रूप से कुछ प्रकार के रक्त कैंसर के लिए विकसित किया गया है। यह उन रोगियों को दिया जाता है, जिनका कैंसर दोबारा उभर आया हो, या प्रारंभिक उपचार का असर न हुआ हो।
CAR-T सेल थेरेपी के लाभ
- कम समय में उपचार: गहन कीमोथेरेपी या स्टेम सेल प्रत्यारोपण की तुलना में उपचार की अवधि कम होती है और रोगी अपेक्षाकृत जल्दी स्वस्थ हो सकता है।
- दीर्घकालिक लाभ: CAR T-कोशिकाएं शरीर में लंबे समय तक सक्रिय रहती हैं, जिससे कैंसर के दोबारा होने की संभावना कम होती है।
- सुलभता: NexCAR19 की लागत आयातित CAR-T थेरेपी की तुलना में कम है, जिससे यह अधिक लोगों के लिए उपलब्ध हो पाती है।
चुनौतियां
- किसी एक प्रकार के कैंसर के इलाज के लिए प्रयुक्त CAR-T सेल थेरेपी दूसरे प्रकार के कैंसर के इलाज में प्रभावी नहीं होती है,
- यह थेरेपी तंत्रिका तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
- साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम (प्रतिरक्षा कोशिकाओं की अति-सक्रियता) का खतरा बना रहता है।
- संक्रमण का जोखिम बढ़ सकता है।
- अन्य संभावित दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
Article Sources
1 source- QSIP (क्वांटम रैंडम नंबर जेनरेटर सिस्टम इन पैकेज) भारत की क्वांटम सुरक्षा चिप है।
- QSIP क्वांटम-प्रमाणित यादृच्छिकता (quantum-certified randomness) प्रदान करता है। अर्थात् ऐसी यादृच्छिक संख्याएँ (रैंडम नंबर) जो क्वांटम कंप्यूटर से उत्पन्न होते हैं। इन यादृच्छिक संख्याओं का उपयोग क्रिप्टोग्राफिक (एन्क्रिप्शन) एल्गोरिदम में किया जाता है।
- यह प्रणाली साइबर खतरों और भविष्य के क्वांटम हमलों से सुरक्षा करती है।
- 25-क्यूबिट QPU: यह भारत की पहली क्वांटम कंप्यूटिंग चिप है। इसका विकास भारतीय स्टार्ट-अप QpiAI द्वारा किया गया है। यह चिप क्वांटम कंप्यूटिंग क्षमता के क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाती है।
- क्वांटम इन्फॉर्मेशन स्क्रैंबलिंग: यह वह प्रक्रिया है जिसमें किसी क्वांटम प्रणाली के भीतर सूचना अत्यंत तेज़ी से फैल जाती है, जिससे वह स्थानीय मापन के माध्यम से आसानी से सुलभ नहीं रहती।
- कार्यप्रणाली (Mechanism): यह एंटैंगलमेंट के माध्यम से क्वांटम डेटा की जानकारी को अनेक कणों में वितरित कर दिया जाता है। इसमें सूचना नष्ट नहीं होती, बल्कि पूरे सिस्टम में इस तरह फैल जाती है कि वह केवल समग्र रूप से ही प्राप्त की जा सके।
- वैश्विक सूचना (Global Information) का अर्थ है ऐसी सूचना से है जो पूरी क्वांटम प्रणाली में वितरित होती है। इस प्रकार की सूचना को केवल संपूर्ण प्रणाली का मापन करके ही पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
- एनालॉग: यह उसी तरह है जैसे पानी में डाली गई स्याही की एक बूंद धीरे-धीरे पूरे पानी में फैल जाती है। प्रारंभ में एक क्यूबिट में मौजूद सूचना अनेक क्यूबिट्स में फैल जाती है।
- महत्त्व: यह सत्यापित क्वांटम लाभ को दर्शाती है। साथ ही, क्वांटम प्रौद्योगिकियों की बेहतर समझ विकसित करने में सहायक है।
एलन मस्क के स्वामित्व वाली स्टारलिंक (Starlink) ने महाराष्ट्र सरकार के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत राज्य के दूरदराज और कम सेवा-प्राप्त क्षेत्रों में उपग्रह-आधारित इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जाएगी।
उपग्रह-आधारित इंटरनेट
- परिभाषा: उपग्रह आधारित इंटरनेट एक वायरलेस ब्रॉडबैंड सेवा है। इसमें पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा रहे संचार उपग्रहों के माध्यम से इंटरनेट उपलब्ध कराया जाता है।
- अन्य माध्यमों से अंतर: फाइबर, केबल या DSL इंटरनेट की तरह यह भूमिगत केबल्स या अवसंरचना पर निर्भर नहीं करता है।
- यह कैसे काम करता है: उपयोगकर्ता के घर पर लगे डिश (Dish/एंटीना) से डेटा उपग्रह तक भेजा जाता है। उपग्रह इस डेटा को ग्राउंड स्टेशन तक पहुंचता है, जो वैश्विक इंटरनेट नेटवर्क से जुड़े होते हैं।
- निम्न भू-कक्षा (Low Earth Orbit: LEO) में स्थापित उपग्रह (जैसे कि स्टारलिंक) पारंपरिक भू-स्थैतिक उपग्रहों की तुलना में तेज गति एवं कम विलंबता वाले इंटरनेट प्रदान करते हैं।
एनटीपीसी नेत्रा (NTPC NETRA) में भारत की सबसे बड़ी और पहली मेगावाट-घंटे (MWh) स्तर की वैनेडियम रेडॉक्स फ्लो बैटरी (VRFB) प्रणाली का उद्घाटन किया गया।
सॉलिड-स्टेट बैटरियों के साथ-साथ फ्लो बैटरियां भी अगली पीढ़ी की बैटरी प्रौद्योगिकियों में से एक होती हैं। ये ग्रिड-स्तरीय ऊर्जा भंडारण के लिए लिथियम-आयन बैटरियों का एक प्रभावी विकल्प बनकर उभर रही हैं। ये बैटरियां सुनम्यता या उपयोग क्षमता, लंबी उपयोग अवधि, और बेहतर सुरक्षा प्रदान करती हैं।

अगली पीढ़ी की बैटरी प्रौद्योगिकियों के बारे में
- फ्लो बैटरियां: ये अपचयन-ऑक्सीकरण (Reduction-Oxidation या Redox) अभिक्रियाओं पर आधारित होती हैं। इनमें दो अलग-अलग तरल इलेक्ट्रोलाइट्स (विद्युत-अपघट्य) होते हैं। ये इलेक्ट्रोलाइट्स एक छिद्रिल/सरंध्री झिल्ली के माध्यम से आयनों या प्रोटॉन्स को आगे-पीछे प्रवाहित करते हैं।
- इन बैटरियों में ऊर्जा भंडारण की क्षमता बहुत अधिक होती है। यह क्षमता इलेक्ट्रोलाइट सेल्स के आकार पर निर्भर करता है। साथ ही, इनमें किसी ज्वलनशील या प्रदूषक सामग्री का उपयोग भी नहीं किया जाता है।
- फ्लो बैटरियों के प्रकार: वैनेडियम रेडॉक्स, जिंक-ब्रोमीन, आयरन-सॉल्ट/ ऑर्गेनिक सिस्टम।
- सॉलिड-स्टेट बैटरियां: इन बैटरियों में ठोस इलेक्ट्रोलाइट्स का किया जाता है, जिसके लिए अलग से सेपरेटर (विभाजक) की आवश्यकता नहीं होती।
- इससे ये बैटरियां सुरक्षित बन जाती हैं। ऐसा इस कारण, क्योंकि क्षति की स्थिति इनमें रिसाव कम होता है तथा उच्च तापमान होने पर भी ये बैटरियां फूलती नहीं हैं।
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1 sourceनासा का एस्केपेड (ESCAPADE) अंतरिक्ष यान ब्लू ओरिजिन के न्यू ग्लेन रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया।
- एस्केपेड (ESCAPADE): एस्केप एंड प्लाज्मा एक्सीलेरेशन एंड डायनेमिक्स एक्सप्लोरर्स (Escape and Plasma Acceleration and Dynamics Explorers)।
एस्केपेड (ESCAPADE) मिशन के बारे में
- उद्देश्य: इस मिशन का उद्देश्य यह अध्ययन करना है कि सौर पवन मंगल के चुंबकीय परिवेश के साथ कैसे अंतर्क्रिया करती है। साथ ही, यह भी परीक्षण करना है कि यह अंतर्क्रिया किस प्रकार मंगल के वायुमंडलीय क्षरण को बढ़ावा देती है।
- मंगल का चुंबकीय क्षेत्र इसके प्राचीन कोर से बचे हुए अवशिष्ट चुंबकीय क्षेत्रों और उसके ऊपरी वायुमंडल में मौजूद कमजोर चुंबकीय क्षेत्र से मिलकर बना है।
- इस अंतरिक्ष यान को पृथ्वी के लैग्रेंज पॉइंट-2 के चारों ओर मौजूद “लॉइटर” कक्षा में प्रक्षेपित किया गया है।
- लैग्रेंज बिंदुओं पर दो बड़े पिंडों का गुरुत्वाकर्षण बल किसी छोटे पिंड की गति के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल (Centripetal Force) के बराबर हो जाता है। इस संतुलन के कारण अंतरिक्ष यान इन बिंदुओं पर कम ईंधन खर्च के साथ लंबे समय तक अपनी स्थिति बनाए रख सकते हैं।
- लैग्रेंज प्वाइंट्स का उपयोग किसी कृत्रिम उपग्रह आदि के नियत स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने हेतु किया जाता है।
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1 sourceसेंटिनल-6बी उपग्रह को कैलिफोर्निया के वांडेनबर्ग स्पेस फ़ोर्स बेस से फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया गया।
सेंटिनल-6बी उपग्रह के बारे में
- संयुक्त मिशन: यह संयुक्त राज्य अमेरिका की नासा (NASA) व राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) तथा यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का एक संयुक्त मिशन है।
- उद्देश्य: यह एक महासागर-ट्रैकिंग उपग्रह है। इसमें 6 वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं। ये उपकरण समुद्र के बढ़ते जलस्तर और पृथ्वी पर इसके प्रभावों का मापन करेंगे।
हाल ही में, राइसिन विष और अमोनियम नाइट्रेट से संबंधित आतंकी हमलों को रोका गया।
राइसिन (Ricin) के बारे में
- यह एक प्रोटीन है, जो अरंडी (castor) के बीजों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। इसके अतिरिक्त, इसे अरंडी के बीजों के अपशिष्ट अवशेष से भी बनाया जा सकता है।
- भोजन में मिलाया गया केवल 1 मिलीग्राम विष भी एक वयस्क को मार सकता है। राइसिन विषाक्तता के लिए कोई एंटीडोट या विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है।
- यह किसी व्यक्ति के शरीर की कोशिकाओं के भीतर जाकर कोशिकाओं को उन प्रोटीन्स को बनाने से रोकता है, जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है।
अमोनियम नाइट्रेट
- शुद्ध अमोनियम नाइट्रेट (NH4NO3) एक सफेद व जल में घुलनशील, क्रिस्टलीय पदार्थ है। इसका गलनांक 170°C होता है।
- यह अपने आप में कोई विस्फोटक नहीं है, लेकिन यह विस्फोटक बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले घटकों में से एक है।