भारत की नवीकरणीय ऊर्जा संवृद्धि (INDIA’S RENEWABLE ENERGY GROWTH) | Current Affairs | Vision IAS
मेनू
होम

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर समय-समय पर तैयार किए गए लेख और अपडेट।

त्वरित लिंक

High-quality MCQs and Mains Answer Writing to sharpen skills and reinforce learning every day.

महत्वपूर्ण यूपीएससी विषयों पर डीप डाइव, मास्टर क्लासेस आदि जैसी पहलों के तहत व्याख्यात्मक और विषयगत अवधारणा-निर्माण वीडियो देखें।

करंट अफेयर्स कार्यक्रम

यूपीएससी की तैयारी के लिए हमारे सभी प्रमुख, आधार और उन्नत पाठ्यक्रमों का एक व्यापक अवलोकन।

ESC

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा संवृद्धि (INDIA’S RENEWABLE ENERGY GROWTH)

23 Dec 2025
1 min

In Summary

  • भारत ने बिजली की मांग में 51.5% नवीकरणीय ऊर्जा (जुलाई 2025) और 51% गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता (सितंबर 2025) हासिल कर ली है, जो 2030 के लक्ष्यों को पार कर गई है।
  • विकास के कारकों में उच्च क्षमता, सहायक नीतियां (जीईसी, पीएलआई, एनजीएचएम), नियामक सुधार (आरपीओ, ग्रीन ओपन एक्सेस) और अंतरराष्ट्रीय सहयोग (आईएसए, ओसोवोजी) शामिल हैं।
  • चुनौतियों में DISCOM की वित्तीय कठिनाई, अनियमितता, संचरण में बाधाएं, सीमित भंडारण, आयात पर निर्भरता (सौर सेल) और भूमि अधिग्रहण के मुद्दे शामिल हैं।

In Summary

सुर्ख़ियों में क्यों?

वर्ष 2025 में भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रक ने दो ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कीं:  नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से देश की कुल विद्युत मांग का 51.5% हिस्सा पूरा हुआ (जुलाई 2025) और देश की कुल स्थापित विद्युत क्षमता में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की हिस्सेदारी 51% तक पहुंच गई (सितंबर 2025 की स्थिति)।

नवीकरणीय ऊर्जा के बारे में 

  • यह उन प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा है जो अपनी खपत की तुलना में कहीं अधिक तेजी से पुन: उत्पन्न या नवीनीकृत होते हैं। इनके उदाहरण हैं: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, जल विद्युत, महासागरीय ऊर्जा और जैव ऊर्जा।
  • भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रक के प्रमुख लक्ष्य:
    • राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्य (2022 में अद्यतन):
      • वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करना। इस लक्ष्य को समयसीमा से पांच वर्ष पहले ही प्राप्त कर लिया गया है।
  • पंचामृत लक्ष्य (2030 के लिए):
    • अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50% हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरा करना।
  • गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्थापित क्षमता को 500 GW तक पहुँचाना।

भारत के नवीकरणीय ऊर्जा (RE) क्षेत्रक की स्थिति

  • गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों की स्थापित विद्युत क्षमता (नवीकरणीय ऊर्जा, जल विद्युत और परमाणु ऊर्जा): सितंबर 2025 तक 256.09 गीगावाट (ऊर्जा स्रोत-वार विवरण के लिए इन्फोग्राफिक देखिए)।
  • वैश्विक रैंकिंग (IRENA RE सांख्यिकी 2025): नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में विश्व में चौथा स्थान, पवन ऊर्जा में चौथा स्थान, सौर ऊर्जा क्षमता में तीसरा स्थान और तीसरा सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक देश।
  • प्रगति:
    • स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता: 2014 से 2025 के बीच लगभग 3 गुना की वृद्धि।
    • सौर ऊर्जा: 2014 से 2025 के बीच लगभग 40 गुना की वृद्धि।
    • पवन ऊर्जा क्षमता: 2020-2024 की अवधि में 30% की वृद्धि।
    • पेट्रोल में इथेनॉल सम्मिश्रण: 13 गुना की वृद्धि (2014 के1.5% के स्तर से बढ़कर 2025 में 20%)।
  • नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वाले शीर्ष 5 राज्य: राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र। 

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रक में संवृद्धि के कारण

  • उच्च क्षमता: उदाहरण के लिए, कर्क रेखा भारत के कई राज्यों से होकर गुजरती है जिससे भारत को प्रतिवर्ष 300 से अधिक धूप वाले दिवस मिलते हैं। भारत की लंबी तट-रेखा और ऊंचे क्षेत्रों के कारण पवन ऊर्जा की उच्च क्षमता है, आदि।
  • सरकार की अनुकूल नीतियां और पहलें:
    • दीर्घकालिक योजना के लिए राष्ट्रीय नीतियां: जैसे— अपतटीय पवन ऊर्जा नीति- 2015; राष्ट्रीय पवन-सौर ऊर्जा हाइब्रिड नीति-2018; राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018 आदि।
    • अवसंरचना विकास: 
      • विद्युत पारेषण (Transmission) अवसंरचना के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर (GEC) योजना; 
      • पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, जिसके तहत छतों पर सौर पैनल स्थापित करने हेतु सब्सिडी दी जाती है (मार्च 2025 तक 10 लाख सौर पैनल स्थापित)।
    • विनियामक व्यवस्था और कार्बन बाजार में सुधार:
      • नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्व (Renewable Purchase Obligation: RPO): इसके तहत राज्यों और उपयोगिता सुविधाओं (Utilities) के लिए अपनी कुल विद्युत खरीद का कुछ निर्धारित न्यूनतम प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से खरीदना अनिवार्य है।
      • भारतीय कार्बन बाजार (2024): इसका आधिकारिक नाम कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (CCTS) है। यह  कार्बन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है जिसे ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के तहत अधिसूचित किया गया है। इसका उद्देश्य कम कार्बन उत्सर्जन वाले विद्युत उत्पादन को प्रोत्साहित करना है।
      • ग्रीन ओपन एक्सेस नियमावली (2022): ये नियम बड़े उपभोक्ताओं को स्थानीय विद्युत वितरण की जटिल प्रणालियों को दरकिनार करते हुए देश भर के किसी भी स्रोत से नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने में सक्षम बनाते हैं।
    • विशेष योजनाएं:
      • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM): 2030 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करना।
      • इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम: 2025-26 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त करना।
      • अन्य योजनाएं: राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन (NSM)राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम (2021–2026); अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम, आदि।
    • निवेश में वृद्धि: स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है; भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक ऋण (PSL) के तहत नवीकरणीय ऊर्जा को उप-श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया गया; सॉवरेन ग्रीन बॉण्ड जारी करने की अनुमति दी गई, आदि।
    • नवीकरणीय ऊर्जा घटकों (उपकरणों) का देश में विनिर्माण को बढ़ावा: उच्च दक्षता वाले सोलर पीवी मॉड्यूल के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना और "सौर पार्क तथा अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास" जैसी योजनाएं देश में ही विनिर्माण को बढ़ावा देती हैं।
      • उदाहरण के लिए, वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत की सौर ऊर्जा मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता 38 GW से बढ़कर 74 GW हो गई।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance: ISA): इसे 2015 में COP21 के दौरान भारत और फ्रांस ने शुरू किया था। यह गठबंधन 100 से अधिक देशों को एक मंच पर लाता है। इसका लक्ष्य स्वच्छ ऊर्जा को किफायती बनाने के लिए सौर ऊर्जा में 1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश जुटाना है।
    • वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (OSOWOG): 2018 में ISA सभा के दौरान भारत ने इस पहल की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर आपस में जुड़े हुए सौर-ऊर्जा ग्रिड का निर्माण करना है।

नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रक की वास्तविक क्षमता को प्राप्त करने में चुनौतियां

  • वित्त और निवेश संबंधी बाधाएं:
    • कम वार्षिक निवेश: भारत को स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के लिए वर्ष 2070 तक लगभग 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है।
    • डिस्कॉम का वित्तीय संकट: विद्युत वितरण कंपनियां (DISCOMs) बिलिंग दक्षता में कमी (विद्युत आपूर्ति और बिल प्राप्ति में अंतर), राजस्व घाटे और विद्युत दरें तय करने में दबाव जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं। इससे नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों को कार्यशील पूंजी बनाए रखने और ऋण चुकाने की क्षमता प्रभावित होती है।
  • अवसंरचना से संबंधित चुनौतियां:
    • नवीकरणीय ऊर्जा निरंतर उपलब्ध नहीं होना: उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा दिन के समय चरम पर होती है लेकिन शाम की उच्च मांग के दौरान उपलब्ध नहीं होती। इसके कारण राज्यों को सौर ऊर्जा के पूरक के रूप में कोयले का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
    • पारेषण संबंधी बाधाएं: उदाहरण के लिए, तमिलनाडु जैसे उच्च पवन-ऊर्जा क्षमता वाले राज्यों में, अक्सर ग्रिड नेटवर्क व्यस्त होने के कारण बिजली की पूरी आपूर्ति नहीं हो पाती है।
    • सीमित भंडारण क्षमता: बैटरी भंडारण की लागत अभी भी उच्च बनी हुई है (लगभग ₹5-6 प्रति यूनिट भंडारण लागत), जिससे चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति महंगी हो जाती है।
    • भूमि अधिग्रहण में परेशानी: नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए बड़े भूखंडों की आवश्यकता होती है। इनके अधिग्रहण में देरी, उच्च लागत और स्थानीय समुदायों के विरोध का सामना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नवीकरणीय ऊर्जा में भू-संसाधन के उपयोग से कृषि उत्पादन हेतु कम भूमि की उपलब्धता और खाद्य संकट जैसी चिंताएं भी उत्पन्न होती हैं।
  • उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए परमाणु ऊर्जा की तुलना में 300 गुना अधिक भूमि की आवश्यकता हो सकती है (आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24)।
  • विनिर्माण संबंधी चुनौतियां:
    • आयात पर उच्च निर्भरता: देश में पॉलीसिलिकॉन/वेफर विनिर्माण की कम क्षमता होने के कारण भारत को 80-90% सोलर सेल और मॉड्यूल चीन से आयात करने पड़ते हैं।
    • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान: कई अति-महत्वपूर्ण खनिजों (Critical Minerals) का उत्पादन और प्रसंस्करण कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में केंद्रित है। इससे समय-समय पर इनकी वैश्विक आपूर्ति बाधित होती रहती है।
      • उदाहरण के लिए, चीन दुनिया भर में 60% दुर्लभ मृदा-तत्व (रेयर अर्थ) उत्पादन, 60% अति-महत्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन और 80% प्रसंस्करण को नियंत्रित करता है।
  • अन्य चुनौतियां: नवीकरणीय ऊर्जा खरीद दायित्वों का सही से क्रियान्वयन नहीं होना; नेट मीटरिंग के नियम में कमी; खनन कार्यों से पर्यावरण को नुकसान, आदि। 

आगे की राह

  • डिस्कॉम में व्यापक सुधार करना: इसके लिए हानि कम करने पर ध्यान देना, स्मार्ट मीटरिंग स्थपित करने को बढ़ावा देना और विद्युत दरों में सुधार करके इनका समय पर भुगतान सुनिश्चित करना आवश्यक हैं।
  • देश में विनिर्माण क्षमता को बढ़ावा देना: नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े उपकरणों या घटकों के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए PLI योजनाओं के माध्यम से सोलर मॉड्यूल, पवन टर्बाइन, बैटरियों और ग्रीन हाइड्रोजन घटकों के देश में विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहिए ।
  • उन्नत भंडारण प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा: उन्नत रसायन सेल (Advanced Chemistry Cells: ACC) बैटरियों, पंप्ड-स्टोरेज जलविद्युत और हाइब्रिड प्रणालियों जैसी उच्च भंडारण क्षमता वाले केंद्रों का विस्तार करना चाहिए।
  • एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा कानून: विद्युत क्रय समझौतों को लागू करने, भूमि अधिग्रहण और ग्रिड तक पहुंचने के लिए स्पष्ट नियम निर्धारित करके निवेशकों का विश्वास बढ़ाना चाहिए।
  • वित्तीय संसाधन जुटाने में तेजी लाना: ग्रीन बॉण्ड, बहुपक्षीय संस्थाओं से वित्तपोषण, मिश्रित वित्तपोषण (ब्लेंडेड फाइनेंस) और निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करना जैसे विविध वित्तीय स्रोतों की संभावना तलाशनी चाहिए।
  • कोयला पर अधिक निर्भर क्षेत्रकों में न्यायसंगत रूप से स्वच्छ ऊर्जा अपनाने की योजना: इसके लिए रोजगार सृजन, पुनः कौशल प्रशिक्षण और स्थानीय स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • ग्रिड अवसंरचना और नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण में सुधार करना: विद्युत पारेषण गलियारों का आधुनिकीकरण करना तथा AI/ML आधारित स्मार्ट-ग्रिड प्रणालियों को अपनाना चाहिए।

Explore Related Content

Discover more articles, videos, and terms related to this topic

RELATED TERMS

3

ब्लेंडेड फाइनेंस

यह एक वित्तीय रणनीति है जिसमें सार्वजनिक धन (जैसे सरकारी अनुदान या विकास सहायता) को निजी निवेश को उत्प्रेरित करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में उपयोग किया जाता है, ताकि अधिक महत्वपूर्ण या जोखिम भरे परियोजनाओं को वित्तपोषित किया जा सके।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)

यह किसी देश की अर्थव्यवस्था में किसी विदेशी व्यक्ति या कंपनी द्वारा किया गया निवेश है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में 100% FDI की अनुमति भारत के विकास और निवेश को आकर्षित करने की नीति को दर्शाती है।

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना

यह योजना नागरिकों को अपने घरों की छतों पर सौर पैनल स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता और सब्सिडी प्रदान करती है, जिससे वे मुफ्त बिजली का लाभ उठा सकें और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा मिले।

Title is required. Maximum 500 characters.

Search Notes

Filter Notes

Loading your notes...
Searching your notes...
Loading more notes...
You've reached the end of your notes

No notes yet

Create your first note to get started.

No notes found

Try adjusting your search criteria or clear the search.

Saving...
Saved

Please select a subject.

Referenced Articles

linked

No references added yet

Subscribe for Premium Features