सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए निर्देश जारी किए | Current Affairs | Vision IAS
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    सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए निर्देश जारी किए

    Posted 12 Aug 2025

    1 min read

    अपने एक स्वतः संज्ञान (Suo motu) मामले में कोर्ट ने निर्देश दिया कि-

    • तात्कालिक रूप से आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए एक विशेष टीम बनाई जाए; 
    • कुत्तों के लिए शेल्टर (आश्रय स्थल) तैयार किए जाएं; 
    • एक हेल्पलाइन शुरू की जाए; 
    • आसानी से वैक्सीन उपलब्ध कराई जाए; तथा
    • जो लोग इन निर्देशों के पालन में बाधा डालेंगे, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

    आवारा कुत्तों से जुड़ी समस्या

    • 2019 की पशुधन गणना के अनुसार भारत में लगभग 1.5 करोड़ आवारा कुत्ते हैं।
      • कुत्ते रेबीज बीमारी के मुख्य वाहक हैं। यह एक वायरस से होने वाली बीमारी है, जो जानवरों से इंसानों में फैलती है और वैक्सीन से रोकी जा सकती है। विश्व में रेबीज से होने वाली कुल मौतों में से 36% मौतें भारत में होती हैं।

    भारत में आवारा कुत्तों से संबंधित कानूनी और न्यायिक प्रावधान

    • पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023: ये नियम पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत बनाए गए हैं। इनका उद्देश्य बंध्याकरण के जरिए आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करना और टीकाकरण के माध्यम से रेबीज के फैलाव को रोकना है।
    • न्यायिक निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू वाद, 2014 में निर्णय दिया था कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21) जानवरों को भी प्राप्त है। 
      • पीपल फॉर एलिमिनेशन ऑफ स्ट्रे ट्रबल बनाम भारतीय पशु कल्याण बोर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आवारा कुत्तों, यहां तक कि परेशान करने वाले कुत्तों को भी मारने पर रोक लगा दी थी।
    • संविधान: अनुच्छेद 243(W) के तहत नगरपालिकाओं का कर्तव्य है कि वे आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करे। अनुच्छेद 51A(g) के तहत नागरिकों का यह मौलिक कर्तव्य है कि वे “जीवित प्राणियों के प्रति दया भाव रखें।”

    आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने में चुनौतियां

    • पर्याप्त बुनियादी ढांचे का अभाव: विशेष रूप से पशु जन्म नियंत्रण केंद्रों और प्रशिक्षित पशु-चिकित्सकों की कमी है।
    • टीकों की कम उपलब्धता: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी-रेबीज वैक्सीन (ARV) और रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन (RIG) की कम उपलब्धता।
    • नैतिक मुद्दे: जैसे पशु कल्याण और जन/ मानव सुरक्षा के बीच टकराव।

    निष्कर्ष

    आवारा कुत्तों की समस्या को हल करने के लिए संतुलित तरीका अपनाना जरूरी है। इसमें बड़े पैमाने पर बंध्याकरण और टीकाकरण, विशेष शेल्टर एवं सुविधाओं का निर्माण, और कुत्तों के साथ संबंधों को नए तरीके से परिभाषित करना (जैसे सर्विस डॉग्स का उपयोग) शामिल हो सकता है।

    • Tags :
    • Stray Dogs
    • Animal Birth Control Rules, 2023
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