विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (CSE) ने “संधारणीय खाद्य प्रणाली रिपोर्ट” जारी की | Current Affairs | Vision IAS
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    विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (CSE) ने “संधारणीय खाद्य प्रणाली रिपोर्ट” जारी की

    Posted 29 Oct 2025

    1 min read

    इस रिपोर्ट में भारत में मृदा स्वास्थ्य की स्थिति को उजागर किया गया है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट में भारतीय मृदा में पोषक तत्वों की गंभीर कमी पाई गई है।

    इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदुओं पर एक नजर 

    • मृदा पोषक तत्वों की कमी:
      • नाइट्रोजन: मृदा के 64% नमूनों में नाइट्रोजन (N) की मात्रा 'कम' पाई गई है।
      • मृदा में ऑर्गेनिक कार्बन (SOC) की कमी: मृदा के परीक्षण किए गए नमूनों में से 48.5% में SOC की कमी पाई गई है। SOC मृदा संरचना और सूक्ष्मजीवों की प्रचुरता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
        • 'अत्यंत उच्च' जलवायु जोखिम वाले 43% से अधिक जिलों में भी SOC का स्तर कम है।
      • सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी: मृदा के 55.4% नमूनों में बोरॉन की मात्रा कम पाई गई, तथा 35% में जिंक की मात्रा कम पाई गई।
    • यूरिया की उच्च खपत: उर्वरकों में सर्वाधिक उपयोग यूरिया का किया जा रहा है। 2023-24 में कुल उर्वरक उपयोग में लगभग 68 प्रतिशत भागीदारी यूरिया की रही है।

    मृदा में पोषक तत्वों की कमी के प्रभाव 

    • यह फसल उत्पादकता, खाद्य सुरक्षा, किसान की आय और संधारणीय कृषि के लिए खतरा है।
    • इससे कार्बन अवशोषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की क्षमता में गिरावट आती है।

    इस रिपोर्ट में की गई सिफारिशें 

    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) के अंतर्गत मृदा निगरानी के वर्तमान स्तर को बढ़ाया जाना चाहिए। इसमें भौतिक (बनावट, संघनन आदि) और जैविक (सूक्ष्मजीव संबंधी गतिविधि) संकेतक शामिल किए जाने चाहिए।
    • उर्वरकों के संतुलित और दक्ष उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए उर्वरकों से संबंधित सब्सिडी नीति में आवश्यक सुधार करने चाहिए।
    • मृदा की उर्वरता, नमी प्रतिधारण क्षमता और कार्बन भंडारण की क्षमता में सुधार के लिए बायोचार का उपयोग करना चाहिए।

    मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) योजना, 2015 के बारे में 

    • इसे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा लागू किया जा रहा है 
    • इसका उद्देश्य मृदा की उर्वरता का आकलन करना और किसानों को पोषक तत्व-आधारित सिफारिशें या सलाह प्रदान करना है।
    • इसके तहत निम्नलिखित 12 रासायनिक संकेतकों को मापामाप जाता है: 
      • नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर (मैक्रोन्यूट्रिएंट्स); जिंक, आयरन, कॉपर, मैंगनीज, बोरॉन (माइक्रोन्यूट्रिएंट्स); तथा pH, विद्युत चालकता और ऑर्गेनिक कार्बन।

    मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना को वर्ष 2022-23 से 'राष्ट्रीय कृषि विकास योजना' (RKVY) कैफेटेरिया स्कीम में 'मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता' नामक घटक के रूप में शामिल कर लिया गया है। 

    • Tags :
    • India’s Soil Health
    • Soil Health Card (SHC) Scheme, 2015
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