प्रधान मंत्री ने आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने पर इसके योगदानों पर प्रकाश डाला | Current Affairs | Vision IAS
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    प्रधान मंत्री ने आर्य समाज की स्थापना के 150 वर्ष पूरे होने पर इसके योगदानों पर प्रकाश डाला

    Posted 01 Nov 2025

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    आर्य समाज के बारे में 

    • स्थापना: 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) में की थी। 
    • धार्मिक सुधार:
      • स्वामी दयानंद सरस्वती ने मूर्तिपूजा और कर्मकांडीय पूजा की निंदा की, तथा सभी मनुष्यों के प्रति सम्मान एवं श्रद्धा का उपदेश दिया।
      • उन्होंने वेदों को अचूक प्रमाण के रूप में स्वीकार किया था। उन्होंने 'वेदों की ओर लौटो' का आह्वान किया था।
    • सामाजिक सुधार:
      • वंशानुगत जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता (छुआछूत) का विरोध किया।
      • सभी जातियों के लिए वैदिक शिक्षा का समर्थन किया था। दयानंद सरस्वती ने बाल विवाह और विधवा महिलाओं के बहिष्कृत स्थिति में रहने का विरोध किया था। इसके अलावा, उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए अभियान भी चलाया था।
    • शैक्षणिक सुधार: उदाहरण के लिए- 1886 में दयानंद एंग्लो वैदिक (DAV) ट्रस्ट और प्रबंधन की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक और आधुनिक शिक्षा प्रदान करना था।
    • स्वतंत्रता आंदोलन: प्रमुख सदस्यों में लाला लाजपत राय, भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, मदन लाल ढींगरा, स्वामी श्रद्धानंद, सचिंद्र नाथ सान्याल जैसे स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे।

    आर्य समाज के सिद्धांतों की समकालीन प्रासंगिकता 

    • सामाजिक समानता: जातिवाद और अस्पृश्यता के विरोध ने भारत के संविधान में निहित समानता एवं न्याय के मूल्यों को सशक्त किया है।
    • लैंगिक सशक्तीकरण: महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों का समर्थन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, नारी शक्ति वंदन अधिनियम जैसी योजनाओं के अनुरूप है।
    • शिक्षा और तर्कवाद: DAV संस्थाएं वैज्ञानिक और नैतिक शिक्षा की अपनी विरासत को जारी रखे हुए हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 51A(h) के तहत वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
    • अन्य: कर्मकांडों की बजाय नैतिक जीवनयापन पर जोर; धर्मों के बीच सद्भाव पर बल; प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने का समर्थन आदि।
    • Tags :
    • Arya Samaj
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