सार्वभौमिक आधारिक आय (UBI) को पहली बार आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 द्वारा प्रस्तावित किया गया था। वर्तमान में सामाजिक-आर्थिक दबावों के कारण इसकी प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। ऐसा इस कारण, क्योंकि पारंपरिक मॉडल्स अब इन दबावों का समाधान नहीं कर सकते हैं, जैसे:
- संपत्ति संबंधी बढ़ती असमानता: अमीर और गरीब के बीच का अंतराल स्वतंत्रता-पूर्व युग जैसी स्थितियों तक पहुंच गया है।
- प्रौद्योगिकी के कारण रोजगार में बदलाव: स्वचालन (Automation) और AI के कारण भारत के अनौपचारिक एवं अर्ध-कुशल कार्यबल के समक्ष बड़ा खतरा उत्पन्न हो रहा है।
- बढ़ती आर्थिक असुरक्षा: गिग और प्लेटफॉर्म आधारित कार्य ने आय अस्थिरता को बढ़ाया है तथा सामाजिक सुरक्षा को कम किया है।
- सामाजिक-पर्यावरणीय तनाव का तीव्र होना: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण विस्थापनों और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बढ़ती समस्याओं के कारण पारिवारिक आय स्थिरता पर दबाव बढ़ रहा है।
सार्वभौमिक आधारिक आय (UBI) की अवधारणा
- परिभाषा: सभी नागरिकों को समय-समय पर व बिना शर्त नकद अंतरण की सुविधा देना, भले ही उनकी आय और रोजगार कुछ भी हो।
- मूल सिद्धांत:
- सार्वभौमिकता: इसमें सभी नागरिकों को कवर किया जाता है।
- बिना शर्त: रोजगार या आय की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
- व्यापक सामाजिक भूमिका: व्यक्तियों को आर्थिक विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाती है।
- वैश्विक उदाहरण: फ़िनलैंड, केन्या जैसे देशों में UBI की वजह से स्वास्थ्य-देखभाल, खाद्य सुरक्षा और मानसिक सेहत में सुधार हुआ है।
UBI के पक्ष और विपक्ष में तर्क (आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17)
UBI के पक्ष में तर्क | UBI के विपक्ष में तर्क |
गरीबी में कमी: गरीबी और सुभेद्यता (vulnerability) को एक ही चरण में कम करती है। | दिखावापूर्ण खर्च: परिवार में विशेष रूप से पुरुष सदस्यों द्वारा धन के अनुपयुक्त खर्च का जोखिम बना रह सकता है। |
व्यापक सामाजिक भूमिका और विकल्प: लाभार्थियों को उनके स्वयं के कल्याण के मामले में निर्णय लेने में सशक्त बनाती है। | नैतिक खतरा: श्रम आपूर्ति को कम कर सकती है और निर्भरता को प्रोत्साहित कर सकती है। |
कोई पीछे ना छूटे: सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति पीछे नहीं छूटना चाहिए। | लैंगिक असमानता: परिवार में UBI खर्च करने पर पुरुषों का नियंत्रण हो सकता है तथा महिलाएं वंचित हो सकती हैं। |
आघातों से संरक्षण: आय, स्वास्थ्य और आजीविका संबंधी आघातों के खिलाफ एक सुरक्षा जाल प्रदान करती है। | कार्यान्वयन बोझ: निर्धनों के बीच वित्तीय सुलभता की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, UBI बैंकिंग पद्धति पर बहुत अधिक दबाव डाल सकती है। |
वित्तीय समावेशन: बैंक के जरिए भुगतान–अंतरण से बैंक खातों का अधिक उपयोग होगा। इससे बैंक मित्र (Banking correspondents) को अधिक लाभ होगा। साथ ही,आय बढ़ने से बैंक से ऋण लेना भी आसान हो जाएगा। | राजकोषीय जोखिम: एक बार शुरू होने के बाद वापस लेना मुश्किल तथा उच्च, दीर्घकालिक लागत। |
मानसिक शांति: बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की दैनिक चिंता को कम करती है। | सार्वभौमिकता संबंधी चिंताएं: इसका लाभ अमीरों तक भी पहुंचने के कारण इसका विरोध हो सकता है। |
प्रशासनिक दक्षता: कई योजनाओं की जगह ले सकती है; रिसाव और प्रशासनिक बोझ को कम कर सकती है आदि। | बाजार संबंधी जोखिम: मूल्यों के उतार-चढ़ाव के दौरान नकदी की क्रय शक्ति कम हो जाती है, जबकि खाद्य सब्सिडी उतार-चढ़ाव वाले बाजार मूल्यों के अधीन नहीं होती। |