नई दिल्ली में शहरी सहकारी बैंक और क्रेडिट सोसायटी के सहकारिता कुंभ (को-ऑप कुंभ 2025) का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को संबोधित करते हुए केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने UCBs की स्थापना संबंधी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- इसके अलावा, सरकार ने सहकार डिजी-पे और सहकार डिजी-लोन एप्लिकेशन भी लॉन्च किए। ये सबसे छोटे UCBs को भी डिजिटल भुगतान और ऋण सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम बनाएंगे।
शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के बारे में
- UCBs भारत में सहकारी बैंकों का एक उपसमूह हैं, जो मुख्य रूप से शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में संचालित होते हैं।
- इतिहास: सहकारी ऋण सोसायटी अधिनियम, 1904 और इसके 1912 के संशोधन ने इनकी स्थापना के लिए कानूनी आधार तैयार किया था।
- पंजीकरण: ये संबंधित राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियमों (एकल-राज्य संचालन के लिए) या बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2002 (कई राज्यों में संचालन के लिए) के तहत सहकारी समितियों के रूप में पंजीकृत होते हैं।
- नियंत्रण और विनियमन: UCBs एक दोहरी विनियामक संरचना के तहत कार्य करते हैं:
- बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949: वर्ष 1966 में इस कानून में एक संशोधन के माध्यम से UCBs को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के दायरे में लाया गया था।
- बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020: इसने भारतीय रिज़र्व बैंक को UCBs पर अधिक नियंत्रण प्रदान किया है। इससे वह उनके प्रबंधन और प्रशासन में हस्तक्षेप कर सकता है।
- सहकारी समितियों का रजिस्ट्रार (RCS): संबंधित राज्य सरकारें या केंद्र सरकार RCS के माध्यम से UCBs के प्रशासनिक कार्यों को नियंत्रित करती हैं।
UCBs का महत्त्व
UCBs के समक्ष चुनौतियां
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