सरकार अगले पांच वर्षों में 2 लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में शहरी सहकारी बैंक (UCBs) स्थापित करेगी | Current Affairs | Vision IAS
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    सरकार अगले पांच वर्षों में 2 लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में शहरी सहकारी बैंक (UCBs) स्थापित करेगी

    Posted 11 Nov 2025

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    सरकार का लक्ष्य 2 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 2 लाख से अधिक शहरी सहकारी बैंक स्थापित करना, वित्तीय समावेशन और उन्नत बैंकिंग सेवाओं के लिए डिजिटल ऐप पेश करना है।

    नई दिल्ली में शहरी सहकारी बैंक और क्रेडिट सोसायटी के सहकारिता कुंभ (को-ऑप कुंभ 2025) का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को संबोधित करते हुए केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने UCBs की स्थापना संबंधी प्रतिबद्धता व्यक्त की है।

    • इसके अलावा, सरकार ने सहकार डिजी-पे और सहकार डिजी-लोन एप्लिकेशन भी लॉन्च किए। ये सबसे छोटे UCBs को भी डिजिटल भुगतान और ऋण सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम बनाएंगे।

    शहरी सहकारी बैंकों (UCBs) के बारे में

    • UCBs भारत में सहकारी बैंकों का एक उपसमूह हैं, जो मुख्य रूप से शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में संचालित होते हैं।
    • इतिहास: सहकारी ऋण सोसायटी अधिनियम, 1904 और इसके 1912 के संशोधन ने इनकी स्थापना के लिए कानूनी आधार तैयार किया था।
    • पंजीकरण: ये संबंधित राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियमों (एकल-राज्य संचालन के लिए) या बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2002 (कई राज्यों में संचालन के लिए) के तहत सहकारी समितियों के रूप में पंजीकृत होते हैं।
    • नियंत्रण और विनियमन: UCBs एक दोहरी विनियामक संरचना के तहत कार्य करते हैं:
      • बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949: वर्ष 1966 में इस कानून में एक संशोधन के माध्यम से UCBs को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के दायरे में लाया गया था।
    • बैंकिंग विनियमन (संशोधन) अधिनियम, 2020: इसने भारतीय रिज़र्व बैंक को UCBs पर अधिक नियंत्रण प्रदान किया है। इससे वह उनके प्रबंधन और प्रशासन में हस्तक्षेप कर सकता है।
    • सहकारी समितियों का रजिस्ट्रार (RCS): संबंधित राज्य सरकारें या केंद्र सरकार RCS के माध्यम से UCBs के प्रशासनिक कार्यों को नियंत्रित करती हैं।

    UCBs का महत्त्व

    • वित्तीय समावेशन: UCBs मुख्य रूप से लघु उधारकर्ताओं और कम आय वाले समूहों को सेवा प्रदान करते हैं।
    • स्थानीय स्तर पर क्रियाशील: UCBs विशिष्ट समुदायों के बीच कार्य करते हैं और उनके अनुरूप वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं।
    • प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रक को ऋण (PSL): UCBs को अपने कुल ऋणों का 60% प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रकों के लिए निर्धारित करना अनिवार्य है।

    UCBs के समक्ष चुनौतियां

    • ये कुछ राज्यों (जैसे- आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात आदि) में ही स्थापित किए गए हैं।
    • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) और राज्य सहकारी निकायों द्वारा दोहरा विनियमन।
    • लघु वित्त बैंकों (SFBs), फिनटेक (FinTechs) आदि के साथ तीव्र बाजार प्रतिस्पर्धा।
    • Tags :
    • Urban Cooperative Banks (UCBs)
    • Banking Regulation (Amendment) Act, 2020
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