इस रिपोर्ट के अनुसार, तपेदिक (टीबी) संपूर्ण विश्व में मृत्यु के शीर्ष 10 कारणों में से एक है। साथ ही, किसी एकल संक्रामक सूक्ष्मजीव से होने वाली मृत्यु का एक प्रमुख कारण भी है।
रिपोर्ट के अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर एक नजर
- टीबी के मामले: वर्ष 2024 में, विश्व के 87% टीबी रोगी 30 देशों में दर्ज किए गए थे। इनमें सबसे अधिक दर भारत (25%) में पाई गई है।
- वैश्विक टीबी घटना दर (Incidence Rate): इसमें वर्ष 2015-2024 तक 12% की निवल कमी आई है।
- वैश्विक टीबी से होने वाली मौतें: इसमें वर्ष 2015-2024 तक 29% की निवल कमी आई है।
- बहु-दवा प्रतिरोधी टीबी (MDR-TB): यह एक लोक स्वास्थ्य संकट और स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी खतरा बना रहा है।
तपेदिक (टीबी) के बारे में
- यह एक संक्रामक वायुजनित रोग है। यह रोग बैसिलस माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। इस बीमारी को रोका जा सकता है और इसका उपचार भी किया जा सकता है।
- इसके निम्नलिखित दो प्रकार हैं:
- पल्मोनरी या फुफ्फुसीय टीबी (Pulmonary TB): यह फेफड़ों को प्रभावित करने वाला सबसे सामान्य रूप है। यह संक्रामक होता है और खांसने या छींकने से निकली बूंदों से फैलता है।
- एक्स्ट्रापल्मोनरी या बाह्य फुफ्फुसीय टीबी (Extrapulmonary TB): यह फेफड़ों के बाहर होता है, जो लिम्फ नोड्स, हड्डियों, मस्तिष्क, किडनी या प्लूरा (फेफड़ों को ढकने वाली झिल्ली) जैसे अंगों को प्रभावित करता है। यह कम संक्रामक होता है और फेफड़ों से शरीर के भीतर फैलता है।
- उपचार: इसका इलाज विशेष एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। इनमें सबसे सामान्य हैं: रिफैम्पिसिन, आइसोनियाज़िड, पाइराज़िनामाइड, और एथेमब्युटोल।
- MDR-TB: इसमें ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया टीबी की दो दवाओं आइसोनियाज़िड और रिफैम्पिसिन के प्रति प्रतिरोधी होता है।
- रिफैम्पिसिन और आइसोनियाज़िड टीबी की दो सबसे प्रभावी प्रथम-पंक्ति की दवाएं होती हैं।
