महत्वपूर्ण खनिज पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना (Incentive Scheme for the Promotion of Critical Mineral Recycling) | Current Affairs | Vision IAS
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    महत्वपूर्ण खनिज पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना (Incentive Scheme for the Promotion of Critical Mineral Recycling)

    Posted 12 Nov 2025

    Updated 16 Nov 2025

    1 min read

    Article Summary

    Article Summary

    भारत सरकार ने महत्वपूर्ण खनिज पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने, घरेलू क्षमता बढ़ाने, आयात पर निर्भरता कम करने, आपूर्ति सुरक्षा सुनिश्चित करने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एनसीएमएम के तहत एक प्रोत्साहन योजना शुरू की।

    सुर्ख़ियों में क्यों?

    खान मंत्रालय ने महत्वपूर्ण खनिज पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहन योजना के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

    योजना की मुख्य विशेषताएँ

    • यह राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM) का एक भाग है।
    • मंत्रालय: खान मंत्रालय
    • उद्देश्य: देश में पात्र अपशिष्ट प्रवाह से महत्वपूर्ण खनिजों के पृथक्करण और निष्कर्षण के लिए पुनर्चक्रण क्षमता के विकास को प्रोत्साहित करना
    • अवधि: 6 वर्ष (वित्त वर्ष 2025-26 से वित्त वर्ष 2030-31 तक)।
    • वित्तीय परिव्यय: ₹1,500 करोड़।
    • पात्र फीडस्टॉक: इसमें ई-अपशिष्ट, लिथियम-आयन बैटरी (LIB) स्क्रैप, और अन्य स्क्रैप जैसे कि 'आयु पूरी कर चुके' वाहनों से उत्प्रेरक (catalytic) कन्वर्टर्स शामिल हैं।
      • इस योजना में 27 महत्वपूर्ण खनिज को कवर करती हैं, जिनमें एंटीमनी, कैडमियम, कोबाल्ट, गैलियम, ग्रेफाइट, लिथियम, निकेल, नियोबियम, दुर्लभ भू-तत्व (यूरेनियम और थोरियम को छोड़कर) शामिल हैं।
    • लाभार्थी: बड़े और छोटे/ नए पुनर्चक्रण-कर्ता, जिसमें स्टार्ट-अप्स भी शामिल हैं।
    • प्रोत्साहन तंत्र:
      • पूंजीगत व्यय (Capex) सब्सिडी: समय पर उत्पादन शुरू करने के लिए संयंत्र और मशीनरी पर पूंजीगत व्यय के 20% तक सब्सिडी दी जाएगी।
      • परिचालनात्मक व्यय (Opex) सब्सिडी: वृद्धिशील बिक्री हासिल करने पर दूसरे वर्ष में 40% तक की सब्सिडी और पांचवें वर्ष में 60% तक की सब्सिडी प्रदान की जाएगी (वित्त वर्ष 2026-27 से वित्त वर्ष 2030-31 तक)
      • प्रोत्साहन सीमा: बड़ी संस्थाओं के लिए प्रति इकाई कुल प्रोत्साहन ₹50 करोड़ और छोटी संस्थाओं के लिए ₹25 करोड़ तक सीमित होगा, इनमें क्रमशः संचालन व्यय सब्सिडी की अधिकतम सीमा ₹10 करोड़ और ₹5 करोड़ निर्धारित की गई है।

    महत्वपूर्ण खनिजों के बारे में

    • महत्वपूर्ण खनिज वे प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तत्व और यौगिक हैं जो किसी देश के आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक होते हैं, लेकिन इनकी आपूर्ति संबंधी चुनौतियां गंभीर होती हैं। ये चुनौतियां प्रायः सीमित भौगोलिक उपस्थिति या स्रोतों की असुरक्षा के कारण उत्पन्न होती हैं।
    • खान मंत्रालय ने भारत के लिए 30 महत्वपूर्ण खनिजों की पहचान की है जिनमें बिस्मथ, कोबाल्ट, तांबा, फास्फोरस, पोटाश, दुर्लभ भू-तत्व (REE), सिलिकॉन, टिन, टाइटेनियम आदि शामिल हैं।
      • इस सूची में से 24 खनिजों को खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 (MMDR अधिनियम) की प्रथम अनुसूची के भाग D में शामिल किया गया।

     

    महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण का महत्व

    • घरेलू पुनर्चक्रण अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना: इससे रासायनिक प्रसंस्करण, धातुकर्म निष्कर्षण, या लिथियम-आयन बैटरी (LIB) स्क्रैप के R3 और R4 स्तर के पुनर्चक्रण जैसी प्रौद्योगिकीय, विनियामक और वित्तीय प्रणालियां बेहतर होंगी।
      • इस योजना के प्रोत्साहनों से कम से कम 270 किलो टन वार्षिक पुनर्चक्रण क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है, जिससे लगभग 40 किलो टन वार्षिक महत्वपूर्ण खनिज उत्पादन संभव होगा।
    • आपूर्ति सुनिश्चित करना और भू-राजनीतिक जोखिम को कम करना: महत्वपूर्ण खनिज आधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनके उत्पादन और प्रसंस्करण के भौगोलिक संकेंद्रण के कारण उनकी आपूर्ति श्रृंखला कमजोर और जोखिमपूर्ण है।
      • चीन दुर्लभ भू-तत्वों (REEs) का लगभग 60-70% उत्पादन करता है। साथ ही, चीन ने रक्षा, ऊर्जा और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में उपयोग किए जाने वाले दुर्लभ भू-तत्वों और चुम्बकों के निर्यात को प्रतिबंधित कर रखा है।
    • विदेशी मुद्रा भंडार की बचत: पुनर्चक्रण भारत की आयात पर निर्भरता को कम कर सकता है और मूल्यवान विदेशी मुद्रा भंडार की बचत कर सकता है। पुनर्चक्रण को शहरी खनन भी कहा जाता है।
      • चार महत्वपूर्ण खनिजों - लिथियम (लिथियम आयन के अलावा), कोबाल्ट, निकेल और तांबे के आयात पर वित्त वर्ष 2023-24 में लगभग ₹34,800 करोड़ खर्च किए गए।
    • पर्यावरणीय और सतत विकास लक्ष्य: यह योजना ई-अपशिष्ट प्रबंधन में सुधारप्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और नई खदानों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में सहायक होगी।
    • उद्योग का औपचारिकीकरण: अनुमान है कि यह पहल ₹8,000 करोड़ का निवेश आकर्षित करेगी और 70,000 प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करेगी, जैसा कि पुनर्चक्रण योजना में परिकल्पित किया गया है।
    • Tags :
    • NCMM
    • Critical Mineral Recycling
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